अमरकंटक स्टेट बैंक मैनेजर की पहल से मिला बीमा की राशि नाबालिक भाई - बहनों के नही है माता पिता - वीर सिंह वेसर narmadanewstimes.in



 अमरकंटक स्टेट बैंक मैनेजर की पहल से मिला बीमा की राशि 


नाबालिक भाई - बहनों के नही है माता पिता - वीर सिंह वेसर


श्रवण उपाध्याय


अमरकंटक/ मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली पवित्र नगरी अमरकंटक में अकेला भारतीय स्टेट बैंक है जो जनता की सेवा में अनेक वर्षो से तत्परता के साथ कार्य करता आ रहा है ।

भारतीय स्टेट बैंक  बचत जमा खाता , चालू जमा खाता , सावधि जमा खाता , आवर्ती जमा खाता खोलने की सलाह देता है तथा जनता को विभिन्न तरीकों से उचित ब्याज दरों पर ऋण उपलब्ध कराने का कार्य भी करता है । बैंक मैनेजर की ओर से बताया गया कि एक बीमा योजना है जिसका सालाना प्रीमियम 200 रुपए है जो खाते से अपने आप कट जाया करता है जिसका बीमा प्रारंभ है इसके लिए अलग से प्रीमियम जमा करने की जरूरत नहीं होती । और खाता धारक की मृत्यु पर नॉमिनी को चार लाख रुपए की राशि प्रदान प्राप्त होती है ।

ऐसा ही एक केश हमारे सामने आया जिसका हमने अपने कर्तव्यनिष्ठा के अनुरूप कार्य करते हुए प्रदान कराया और अठारह हजार उन्हें ज्यादा प्राप्त हुए । 

दो बेटी (बहन) और दो बेटों (भाई) के अलावा उनके परिवार में कोई नहीं है । बड़ी बहन पूजा 16 वर्ष , भाई राजपाल 13 वर्ष , बहन सरस्वती 10 वर्ष और छोटा भाई नैतिक लगभग 7 वर्ष के है । 

इन बच्चो के पिता जी धूप सिंह गोंड निवासी मझौली थाना करण पठार जिला अनूपपुर की मृत्यु कुछ समय पूर्व ही हो जाने के बाद बच्चे अपनी मां सोनबती बाई के साथ जीवन यापन कर रहे थे । समय गुजरता रहा एक दिन अचानक मां का भी रोड़ एक्सीडेंट 20-11-2019 को हो गया , उन बच्चो पर मां का भी छाया छिन गया । अब नाबालिक दो बहन और दो भाई गांव में बचे घर में अकेले रह नही सकते थे , जिस कारण उनकी नानी चारो को अपने साथ अपने घर भामरिया गांव (लालपुर) ले आई ।

एक दिवस नानी , पूजा को लेकर अमरकंटक भारतीय स्टेट बैंक आई और बैंक मैनेजर अनिरुद्ध कोरी से सारी घटना की जानकारी दी गई , माता के नाम से उनका खाता बैंक में खुला था और एक जनरल इंश्योरेंस भी था । बीमा से संबंधित उन्होंने सारी कागजी कार्यवाही कर दी पर समय गुजरता रहा । 

वर्तमान बैंक मैनेजर वीर सिंह वेसरा के आने पर कु.रिचा पकवांसा ने उस कार्यवाही पर पुनः ध्यान आकर्षित करवाया और पुनः उस पर कागजी कार्यवाही की गई । समय गुजरता गया और अगस्त माह में बीमा की राशि चार लाख अठारह हजार खाते में आ गई । खाते में बड़ी बेटी का नाम नामिनियमें दर्ज था पर वह नाबालिक होने के कारण उनकी नानी को मुखिया बना कर कुछ राशि उन्हें दी गई ।

बैंक मैनेजर वीर सिंह वेसरा ने बताया की इन बच्चो के आगे पीछे कोई नही है , नानी ने बच्चो को अपने साथ रखा है । बच्चो की मौसी भी है , जिन्होंने कागजी कार्यवाही में पूरा सहयोग किया । बैंक अपना कर्तव्य का पालन करते हुए उनके बीमा की राशि उन्हें प्राप्त हुई । बैंक के  हरिकिशन सोनी , प्रेमकुमार सुमन , अनीश प्रजापति आदि स्टाफ का भी उनको सहयोग प्राप्त रहा ।

एक टिप्पणी भेजें

संपर्क फ़ॉर्म

नाम

ईमेल *

संदेश *

Blogger द्वारा संचालित.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget