जनजातीय विश्वविद्यालय में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता सप्ताह का हुआ आयोजन
अमरकंटक । इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक, मध्य प्रदेश के मनोविज्ञान विभाग के तत्वावधान में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी के मार्गदर्शन में 'मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता सप्ताह के अंतर्गत Catharsis: Let the emotions flow विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया ।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रो. रंजू हसनी साहू ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए यह कहा की कार्यस्थल पर उत्तम मानसिक स्वास्थ्य का बोध होना, इस बात से स्पष्ट होता है कि संगठन या संस्था के लोग आपस में किस प्रकार की अन्तःक्रियाएं करते है तथा किस प्रकार का विचार और भावनाएं रखते हैं । उत्तम भाव, विचार और उत्तम क्रियाशीलता उत्तम मानसिक स्वास्थ्य को व्यक्त करता है । कर्मचारियों, शिक्षकों और विद्यार्थियों में तनाव, चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं को कम करने के लिए सहयोग, सहानुभूति, तदुनुभूति, सकारात्मक वैचारिक पहल तथा उत्तम योजनात्मक वातावरण तैयार किया जाना चाहिए, जहां लोग अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त कर सकें तथा सही संतुलन बना सकें और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समर्थन पा सकें। उन्होंने आगे यह भी कहा कि जो व्यक्ति जीवन में सकारात्मक सामाजिक रुचियों को रखते हुए अपने व्यवहार को अभिव्यक्त करता है, वह जीवन में मानसिक रूप से मजबूत और सुदृढ़ बनता है ।
स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत करते हुए मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम के संयोजक डॉ. ललित कुमार मिश्र ने कहा की मानसिक स्वास्थ्य पर केंद्रित सप्तदिवसीय कार्यक्रम कई चरणों में विभक्त है, जिसमें कार्यशाला, संगोष्ठी, व्याख्यान, प्रदर्शनी, नुक्कड़ नाटक इत्यादि विभिन्न माध्यमों विरेचन तकनीकों से लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाना है। जीवन में हम सभी तनाव, चिंता और विषाद से दूर रहें, इसके लिए आवश्यक है कि हम योग, ध्यान, सकारात्मक सोच और समय प्रबंधन को अपने अभ्यास में लाएं, जिससे सफलता और समग्र जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सके।
इसी क्रम में मनोविज्ञान विभाग के सहायक आचार्य तथा कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. प्रज्ञेश कुमार मिश्र ने वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा की कार्यक्रम की रूपरेखा का उद्देश्य कैथार्सिस (लेखन तथा परफॉर्मिंग आर्ट), संवाद स्थापना तथा आशावाद के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता का संवर्धन करना है। विरेचन एक ऐसी मानसिक प्रक्रिया है जो, रचनात्मक क्रिया कलापों के माध्यम से व्यक्ति के मानसिक तंग दिमागी की संवेगिक शुद्धि करता है। आगे उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य पर केंद्रित एक मूवी का जिक्र किया जिसमें दर्शकों को यह संदेश दिया गया है कि जीवन में हर भावना का अपना महत्व है और हर एक अनुभव का हमारी यादों में खास स्थान होता है। उन्होंने यह भी कहा कि कार्यस्थल पर संवाद-हीनता मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में एक अवरोध उत्पन्न करता है । कवि श्री रविंद्र नाथ मिश्र 'बलिदानी' की ये पंक्तियां इस तथ्य का सटीक चित्रण प्रस्तुत करती हैं कि 'पनप जाएगा प्यार का एक अंकुर, मिलाना तो सीखो नजर धीरे-धीरे'। यदि लोगो के बीच संवाद होगा तो निःसंदेह मानसिक स्वास्थ्य उत्तम होगा ।
कार्यक्रम का सफल संचालन मनोविज्ञान विभाग के छात्रा सुश्री प्रीति रॉय तथा कनिष्का सिंह ने किया तथा आभार ज्ञापन मनोविज्ञान विभाग के सहायक आचार्य एवं कार्यक्रम के सह समन्वयक डॉ. अभय प्रताप सिंह ने किया । तथा कार्यक्रम के सफल आयोजन में मनोविज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉ. आर्ष ओजस परासर पाण्डेय ने सक्रिय भूमिका निभाई।
इस अवसर पर पत्रकारिता तथा जनसंचार संकाय के अधिष्ठाता प्रो. राघवेंद्र मिश्र, रा. से. यो. के समन्वयक डॉ. मनोज कुमार पाण्डेय, डॉ. दिग्विजय नाथ चौबे, डॉ. पंकज तिवारी, डॉ. सौरभ मिश्र, डॉ. विनय तिवारी सहित मनोविज्ञान विभाग के सभी विद्यार्थी यथा; जीनो,अनीश, अनुश्री, गायत्री, जैसफ़ीन, अर्जुन, प्रशांत, आयुषी सीनन, शाकिर, अजय, अनुवेश, हरीश, सिया, सिवानी, अजंन्या, गायत्री, अमेघा, प्रत्यूष, नंदिशा, सना फैसल, विकास, सलमा सुहानी इत्यादि व शोधार्थी प्रज्ञा मिश्रा तथा पियूष त्रिपाठी एवं विभागीय कर्मचारी उपस्थित रहे ।