आज का समय नारी शक्ति का है जिन्हें धर्म ग्रंथो में पूज्य बताया गया है .... प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी (मा. कुलपति ) narmadanewstimes.in

 आज का समय नारी शक्ति का है जिन्हें

धर्म ग्रंथो में पूज्य बताया गया है ....

प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी (मा. कुलपति


)

अमरकंटक । इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी के कुशल नेतृत्व में विश्वविद्यालय के लैंगिक अध्ययन प्रकोष्ठ एवं श्रीशील मंडल द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर माननीय कुलपति प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी ने सभी को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई देते हुए कहां कि नारी वंदनीय है। नारी है तो समाज है। बुद्ध से लेकर हिंदुओं के धर्म ग्रंथो का उदाहरण देते हुए महिलाओं के सम्मान को रेखांकित किया है। भारत एक ऐसा देश है जहां प्राचीन काल से महिलाओं को देवी कहा गया हैं और उन्हें पूज्य माना गया हैं। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती पूजन एवं कुलगीत से हुई तत्पश्चात प्रोफेसर पूनम शर्मा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया इसके बाद  चित्रकूट विश्वविद्यालय से आई  डॉक्टर नीलम  ने बताया कि भारत दुनिया में अग्रणी हैं जहां महिलाओं का सम्मान किया जाता हैं अमेरिका एक ऐसा देश है जहां पुरुषों को सबसे ज्यादा तनख्वाह हैं और महिलाओं को सुविधा बहुत कम जबकि हमारे भारत में पुरुषों और महिलाओं के बीच में कोई भेद नहीं हैं। मुंबई से कार्यक्रम में आई प्रोफेसर वैदेही दफ्तर दार ने महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए आवाहन किया उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के साथ-साथ सरकारी एवं निजी बैंक भी कई तरह की योजनाएं चला रहे हैं। अतः धन कमाना मुश्किल कार्य नहीं हैं। बस हमें हमारी इच्छा शक्ति को जगाना हैं और घर की चार दिवारी से बाहर कदम रखना हैं। श्रीशील मंडल की अध्यक्ष श्रीमती शीला त्रिपाठी जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि महिलाएं घर की चार दिवारी में रहकर ही काम नहीं करती हैं बल्कि उनका क्षेत्र घर और बाहर दोनों होता हैं। ईश्वर ने महिला की कृति बनाकर एक अमिट हस्ताक्षर किए हैं। श्रीशील मंडल के सदस्यों के सहयोग से इस जनजातीय क्षेत्र में विकास की लहर दौड़ गई हैं यहां सभी जनजातीय महिलाएं न सिर्फ घर में बल्कि घर के बाहर भी कार्य कर रही हैं। बीज वक्त के रूप में उपस्थित प्रोफेसर चंद्रकला पाड़िया जी ने बताया कि भारत में आने वाला समय युवाओं का हैं और इन युवाओं में महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा होने वाली हैं जो देश के उज्जवल भविष्य को वया करेगी। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रोफेसर पूनम टंडन (माननीय कुलपति दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, गोरखपुर) ने अपने उद्बोधन में कहा कि महिलाएं किसी पद की मोहताज नहीं हैं वह घर में रहकर भी वह सभी कार्य कर सकती हैं जो दूसरी महिला पद पर रहकर या घर के बाहर कार्य कर रही हैं उन्होंने श्रीशील मंडल की अध्यक्ष श्रीमती शीला त्रिपाठी और उनके कार्यकर्ताओं को बधाई दी कि इस जनजातीय क्षेत्र में विकास और शिक्षा की अलख जगाना सचमुच में कठिन कार्य हैं। जिसको की इस गैर सरकारी संगठन द्वारा बखूबी किया गया हैं। महिलाओं के पिछड़े होने में सबसे ज्यादा कारण महिलाओं का स्वयं का हैं, वह अपने आपको आगे बढ़ाने से बचती हैं। कार्यक्रम के समापन पर डॉक्टर शिखा बनर्जी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया और मंचासीन अतिथियों द्वारा क्षेत्र से आई हुई जनजातीय महिलाओं को उनके कार्य के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर पूनम पांडे द्वारा किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक  प्रोफेसर अवधेश शुक्ला जी, प्रोफेसर आलोक श्रोत्रिय, प्रोफेसर मूर्ति (कुलसचिव),  प्रोफेसर पी.के. साल, विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी डॉ. विजय नाथ मिश्र तथा विश्वविद्यालय के समस्त शैक्षिक, गैर शैक्षणिक अधिकारीगण एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहे।

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