*अहम प्रश्न, पत्रकारों के हित में आयुक्त जनसंपर्क को कार्य करना चाहिए* *
*नियमों के पालन में भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।
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भोपाल/एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन प्रांतीय अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा जी ने कहां कि क्या भोपाल एवं अन्य जिलों से प्रकाशित एवं प्रसारित दैनिक समाचार पत्र की दो प्रतियां जिला जनसंपर्क कार्यालय में नियमित रूप से जमा कराई जाती है,कुल कितने दैनिक समाचार पत्र भोपाल से प्रकाशित होते हैं और देश के अन्य स्थानों से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्रों जिनके संवाददाता अधिमान्यता प्राप्त अथवा गैर अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों को विभाग पत्रकार मानता है या नहीं और वे सभी समाचार पत्र विभाग में जमा होते हैं या नहीं यदि राजधानी में नियम का पालन होता है तो सभी जिलों में होना चाहिए और यदि भोपाल में नियमों में स्थिरता है तो सभी जिलों में होना चाहिए।, देखने में आया है कि कई जिलों के जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों द्वारा गैर अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों को पत्रकार नहीं मान रहे हैं इससे बड़ी समस्या हो रही है।जब बेवसाइट एवं यूट्यूबर्श पत्रकारों को पत्रकार माना जा रहा है परन्तु विभाग में सिर्फ अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों की सूची है। अधिमान्यता नियमों के अनुसार बहुत ही कम पत्रकारों को अधिमान्यता मिलता है। आज के समय में ग्रामीण अंचल तक समाचार पत्र जाते हैं उन ग्रामीण इलाकों के समाचार प्रकाशित होते हैं और समाचार वहीं व्यक्ति भेजता है जिसे समाचार पत्र मालिक एजेंट मानता है या फिर समाचार पत्रों के मालिकों ने अपने समाचार पत्र के नाम पर बेवसाइट बना ली है और उस बेवसाइट के नाम से समाचार लगाते हैं। बेवसाइट को भी समाचार भेजने बाला पत्रकार ही होता है। समाचार पत्रों के मालिकों ने सरकार को धोखा देने और मजीठिया वेतन आयोग के अनुसार वेतन न देने के लिए यह धोखाधड़ी की जा रही है। मजीठिया वेतन आयोग के अनुसार किसी भी समाचार पत्र का अन्य कोई व्यापार है तो उसके कर्मचारी भी मजीठिया की जद में आते हैं। सरकार के जनसंपर्क विभाग एवं पत्र सूचना कार्यालय के अधिकारियों को प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्रों के प्रसार संख्या की जांच निष्पक्ष रूप से नियमित रूप से करना होगा। पत्रकारों को न्याय मिलेगा।