*कला रचनात्मक अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है : प्रभारी कुलपति प्रो ब्योमकेश त्रिपाठीnarmadanewstimes. in


 *कला रचनात्मक अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है : प्रभारी कुलपति प्रो ब्योमकेश त्रिपाठी


अमरकंटक । इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक में आज  द्वितीय वार्षिक कला प्रदर्शनी "उत्सव" 2025 का भव्य उद्घाटन एवं सफल आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रभारी कुलपति प्रो. ब्योमकेश त्रिपाठीजी द्वारा  किया गया। शिक्षा संकाय के विभागाध्यक्ष प्रो. एम.टी.वी. नागराजू, डीन प्रो. ज्ञानेन्द्र कुमार राउत एवं कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. सपना भी कार्यक्रम में मौजूद रही। कार्यक्रम के दौरान द्वितीय वार्षिक कला प्रदर्शनी "उत्सव" के पोस्टर एवं कैटलॉग का विमोचन प्रभारी कुलपति द्वारा किया गया। प्रदर्शनी में पोस्टर, चित्रकला एवं को लार्ज आर्ट के क्षेत्र में विद्यार्थियों द्वारा निर्मित विविध कलाकृतियां प्रस्तुत की गईं। वार्षिक कला प्रदर्शनी "उत्सव" में विश्वविद्यालय के 25 विभागों के 208 छात्र एवं छात्राओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति ने विद्यार्थियों की कलात्मक प्रतिभा की सराहना करते हुए कहा कि “कला रचनात्मक अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है, जो व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ऐसे आयोजनों से विद्यार्थियों को सिर्फ मंच नहीं बल्कि नवाचार, सांस्कृतिक चेतना और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है।”

प्रदर्शनी में विद्यार्थियों, शिक्षकों, अभिभावकों एवं आगंतुकों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। वार्षिक कला प्रदर्शनी "उत्सव" में उत्कृष्ट कलाकारों को लार्ज आर्ट-सौम्या रानी साहू, हिना बी, विवेक कुमार सिन्हा, लोक कला- अन्नू सिंह, संस्कार तिवारी, शुभम् कुमार महापात्र, पोस्टर- सोनल वर्मा, खुशबू ध्रूव, विसरता कुमार और अभिषेक कूरू के कलाकृतियों को प्रभारी कुलपति द्वारा पुरस्कृत किया गया और सभी प्रतिभागियों को प्रमाण- पत्र प्रदान किए गए। कार्यक्रम के समापन पर संयोजक डॉ. सपना ने सभी आगंतुकों, शिक्षकों एवं छात्रों का आभार व्यक्त किया और कहा भविष्य में ऐसे आयोजनों को निरंतर करने का प्रयास करती रहूंगी।

वार्षिक कला प्रदर्शनी "उत्सव" के उद्घाटन के अवसर पर प्रो. तरुण ठाकुर, चीफ वार्डेन प्रो. शिव कुमार मिश्रा, डॉ. एस. सिद्धि राजू,  डॉ. अनिल टम्टा, डॉ. एम. पी.गौड़ एवं डॉ. मनोज कुमार पांडेय की गरिमामई उपस्थित रही, जिन्होंने विद्यार्थियों की सृजनात्मकता की मुक्तकंठ से प्रशंसा की।

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