*समाचार पत्रों के मालिकों द्वारा सरकार से आर्थिक धोखाधड़ी*
*दूसरा आश्चर्य भोपाल की आबादी लगभग 30 लाख दैनिक समाचार पत्रों की प्रसार संख्या 60 लाख*
भोपाल /मध्यप्रदेश के समाचार पत्रों के मालिकों द्वारा केन्द्र सरकार, राज्य सरकार सहित अन्य निजी संस्थानों,सेमी सरकारी संस्थाओं और इतना ही नहीं समाचार पत्रों को विज्ञापन देने वालों के साथ आर्थिक धोखाधड़ी की जा रही है। इस धोखाधड़ी में समाचार पत्र मालिकों,सनदी लेखापाल, प्रिंटिंग प्रेस, कागज विक्रेता, प्रिंटिंग प्रेस में समाचार प्रकाशन में उपयोग में आने वाली अन्य सामग्री के विक्रेता सामिल है।
इस आर्थिक धोखाधड़ी की और किसी भी जांच एजेंसी का ध्यान नहीं जाना या फिर जांच एजेंसी का अपने कर्तव्य से भटकना अथवा यह भी कहां जा सकता है कि उनकी भी इस आर्थिक भ्रष्टाचार में संलिप्त होना है यह मेरा आरोप है।
समाचार पत्रों के मालिकों द्वारा किये जा रहे इस आर्थिक भ्रष्टाचार को रोकने की जबावदारी जिन विभागों को है उसमें प्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग एवं केंद्र सरकार के पत्र सूचना कार्यालय में पदस्थ अधिकारियों की है परन्तु लगता है कि समाचार पत्रों के मालिकों से पंगा लेने में अधिकारी अक्षम है या फिर इस आर्थिक भ्रष्टाचार में उनकी सहभागिता सुनिश्चित है अन्यथा इस कथित चौथा स्तंभ द्वारा यह अनैतिक कार्य नहीं किया जा सकता। आज इस कथित चौथा स्तंभ को यह आजादी है कि वह अन्य पर अपनी उंगली उठा देता है तब वह यह नहीं सोचता कि भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों , राजनेताओं, सार्वजनिक उपक्रम की तरफ तो एक ही उंगली उठती है परन्तु शेष तीन उंगली उसके स्वयं की तरफ उठती है । वैसे यह बात जगजाहिर है किसी की हिम्मत नहीं होती है कि समाचार पत्र मालिकों से पंगा ले। मध्यप्रदेश सरकार के श्रम विभाग में पंजीयन एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ने इस आर्थिक भ्रष्टाचार को रोकने एवं भविष्य में न होने देने के लिए निडर होकर पहला कदम उठाया है।
इस भ्रष्टाचार को रोकने के पीछे का कारण यह है कि समाचार पत्र मालिकों के द्वारा आर्थिक भ्रष्टाचार के साथ -साथ उनमें काम करने वाले पत्रकारों एवं अन्य कर्मचारियों को शोषण किया जाना भी है। समाचार पत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों एवं पत्रकारों को केंद्र सरकार के द्वारा गठित मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार वेतन सहित अन्य सुविधाएं दिलाना है। इस लड़ाई को या इस आर्थिक भ्रष्टाचार को रोकने के लिए एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ने समाचार पत्रों की प्रसार संख्या की जांच के लिए पहला पत्र जनसंपर्क विभाग के तत्कालीन आयुक्त राघवेन्द्र सिंह को दिया उस पत्र के साथ केन्द्र सरकार के रजिस्ट्रार न्यूज पेपर आफ इंडिया की वेबसाइट पर उपलब्ध प्रसार संख्या के दस्तावेज का प्रिंट लिया इस काम में पहली भूमिका स्वर्गीय मित्र सतना निवासी कपूर जो एक इमानदार पत्रकार थे। उनके द्वारा मुझे इस आर्थिक भ्रष्टाचार को रोकने के लिए मुझ पर भरोसा किया। उन्हें मालूम था कि इस आर्थिक भ्रष्टाचार को उजागर एक मात्र यूनियन एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन है।
मैंने पूरे प्रदेश के समाचार पत्रों की प्रसार संख्या वह भी 2020 एवं 2021 की देखी तो आंखें फटी की फटी रह गई। यहां मैं सिर्फ भोपाल का उदाहरण देते हुए जानकारी दे रहा हूं कि आम धारणा है कि भोपाल की आबादी लगभग 30 लाख होगी परन्तु भोपाल से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्रों की प्रसार संख्या 60 लाख से अधिक है यह तो उन समाचार पत्रों की है जो केंद्र सरकार के जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी किए गए हैं। मैंने इस प्रसार संख्या में उन समाचार पत्रों की प्रसार संख्या नहीं जोड़ी जो मध्यप्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग द्वारा विज्ञापन के लिए सूची में है।
इस आर्थिक भ्रष्टाचार की पहली शिकायत *जनसंपर्क आयुक्त राघवेन्द्र सिंह को की लगा कि कुछ नहीं होगा तो दूसरी शिकायत भ्रष्टाचार की जांच करने वाली एजेंसी राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को की जिसमें आरोप लगाया कि इस भ्रष्टाचार में राज्य सरकार के जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों की मिली भगत है। दूसरी शिकायत केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को की उनके द्वारा प्राप्त पत्र के आधार पर इस आर्थिक भ्रष्टाचार की शिकायत पत्र सूचना कार्यालय में पदस्थ अधिकारियों की सी बी आई को की है। इस शिकायत के पीछे मेरा एक ही उद्देश्य है कि पत्रकार एवं अन्य कर्मचारियों को नियमानुसार उनका वेतन एवं नियुक्ति पत्र के साथ पी एफ जमा हो। पत्रकारों से निवेदन है कि यह लड़ाई मैं अपने लिए नहीं परंतु एक यूनियन का प्रांतीय अध्यक्ष होने के कारण मेरा दायित्व है कि मैं अपने मित्रों के हक की बात उठाऊं अब इस लड़ाई में आपका साथ चाहिए तो *आइए एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन से जुड़े*। राधावल्लभ शारदा। प्रांतीय अध्यक्ष। एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन, भोपाल