परिसर को स्वच्छ रखना हम सबक दायित्व है ..... प्रो श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी (माननीय कुलपति) narmadanewstimes.in

 परिसर को स्वच्छ रखना हम सबक दायित्व है ..... प्रो श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी (माननीय कुलपति)






अनूपपुर /शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देशानुसार इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में आयोजित स्वच्छता पखवाड़ा के शुभारम्भ के अवसर पर माननीय कुलपति प्रो श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी  ने कहा कि अपने परिवेश को और परिसर को स्वच्छ रखना हम सबका दायित्व है। प्रकृति ने हमको अनुपम सुंदरता प्रदान की है। इसे संरक्षित करने के लिए हमको सदैव प्रयत्नशील रहना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि साफ-सफाई केवल सफाईकर्मियों का कार्य नहीं है बल्कि समाज के हर व्यक्ति का दायित्व है। स्वच्छता और सफाई सेवा का सबसे अप्रतिम कार्य है। हम सभी को इस दायित्व का सचेत होकर निर्वहन करना चाहिए। विद्यार्थी स्वयंसेवक होते हैं तथा स्वच्छता के अग्रदूत के रूप में उनका कार्य रचनात्मकता एवं समाज की सेवा का उत्कृष्ट उदाहरण है। विद्यार्थियों से संवाद के क्रम में कुलपति  ने कहा कि युवा विद्यार्थियों के बीच में आकर हम भी अपनी तरुणाई में पहुंच जाते हैं और यह हमारी ऊर्जा का स्रोत है। राष्ट्रीय सेवा योजना के संयोजकत्व में आयोजित कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत करते हुए समन्वयक प्रो राघवेंद्र मिश्रा ने पखवाड़ा के ऐक्शन प्लान पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर स्वच्छता शपथ ली गई जिसे सहायक कुलसचिव डा. संजीव सिंह द्वारा संपन्न कराया गया। कार्यक्रम में गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रो विजय चहल  विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। इस अवसर पर मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. ललित कुमार मिश्रा, दर्शन शास्त्र विभाग के अध्यक्ष डा गोविंद मिश्र, डा. प्रशांत कुमार सिंह, एनसीसी अधिकारी डा. जितेन्द्र कुमार सिंह, डा. त्र्यंबकनाथ पांडेय, डा. सचिनदेव द्विवेदी, डा. शिवाजी चौधरी, डा. देश दीपक चौधरी, डा. राघव प्रसाद परुआ, डा कीर्ति, डा. आशुतोष कुमार, डा. शिवाकांत त्रिपाठी, डा. पूजा रानी, हरिश्चन्द्र विश्वकर्मा, विनोद वर्मा, डा. कमलेश पान्डेय, आशीष कुमार गुप्ता, पंकज पायसी, डा. दीपक त्रिपाठी, डा. दिनेश कुमार परस्ते, अनुराग कुमार सिंह, कुलपति  के निज सचिव रत्नेश श्रीवास्तव, अंकुर गौतम सहित स्वयंसेवक, छात्र-छात्राएं एवं विश्वविद्यालय परिवार के सदस्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डा. रामभूषण तिवारी ने किया और धन्यवाद प्रकाश डा. कीर्ति ने किया।

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