विकास के नाम अंधेर नगरी चौपट राजा
"बिसाहू लाल काहे का विकास पुरुष"
अनूपपुर। विधानसभा चुनाव कुछ ही घंटे बाकी है जनता का रुख क्या कहती है यह तो 17 तारीख को ही निर्णय हो जाने वाला है वहीं बिसाहू लाल को विकास पुरुष का दर्जा देने वालों को सोचना चाहिए कि विकास स्वयं का किया या फिर अनूपपुर का अगर अनूपपुर का हुआ होता तो फ्लाईओवर ब्रिज आज तक बनकर तैयार हो गया होता ,नया बस स्टैंड बन जाता ,200 बेड का हॉस्पिटल तैयार हो गया होता, मेडिकल कॉलेज होता , पावर प्लांट चालू हो जाता, रेलवे ब्रिज एक नंबर चालू हो गया होता, अनूपपुर जिला चिकित्सालय में अनुभवी डॉक्टरों की उपस्थिति होती जो की मृत्यु दर की संख्या जो निरंतर बढ़ रही है उस पर रोक लगता लेकिन ऐसा कुछ भी कोशों दूर तक नजर नहीं आ रहा है सिर्फ और सिर्फ अनूपपुर तहसील को जिला बनाकर स्वयं बिसाहू लाल का विकास हुआ है जो कि पहले मंत्री बने थे तो लाखों का महल बनवाया, होटल बनवाया इसके बाद स्वयं राज्य में कांग्रेस की सरकार गिरा कर रुपया सौदा में लिया उसका दूसरा करोड़ों का महल बनवाया और न जाने कितने वेयर हाउस बनवाया एसी जन चर्चा है।
स्वर्गीय दलवीर सिंह जी ने बिसाहू लाल को राजनीति का ए बी सी डी सीखा कर दिल्ली की राजनीति गलियारों तक पहुंचाया वहां भी दगाबाजी करने से नहीं चूके बाद में इन्होंने स्वयं लहसुई में बृहद कार्यक्रम कर सोनिया जी को दिखाएं की आदिवासी का सबसे बड़ा लीडर दलवीर सिंह नहीं स्वयं में हूं।
इस कार्यक्रम के कुछ ही वर्षों बाद मंत्री दलबीर सिंह जी का निधन हो गया।
छुट भैया नेता विकास पुरुष विकास पुरुष की नारे लगाते थकते नहीं जबकि देखा जाएं तो राज्य सरकार और केंद्र सरकार की योजनाएं हर जिले में विकास हेतु कार्य करने की विधायक व मंत्री की जवाबदारी होती है।
लेकिन जिन्हें विकास पुरुष का दर्जा दिया है उनके कार्यकाल में पूरा वर्ष खाद्यान्न से भरी गाड़ियां आए दिन पुलिस द्वारा पकड़ते रहे वहीं इनके संरक्षण में शिक्षा विभाग का अधिकारी
भी गोल -माल करता रहा। अनूपपुर कलेक्टर द्वारा कार्यालय में छापा मारा उसके बावजूद भी कोई भी रिकॉर्ड हांथ नहीं लगा। इस तरह से विकास पुरुष स्वयं को अपना विकास का जरिया बनाकर विकास पुरुष का महारथी हासिल की है।
अब जनता जनार्दन के हाथ में है की अनूपपुर का विकास चाहिए कि विनाश सोच समझ कर देश हित में अपने मतों का उपयोग करें।