*देश के सभी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में पंच-परिवर्तन विषय अनिवार्य हो— कुलपति प्रो. ब्योमकेश त्रिपाठी narmadanewstimes. in

 *देश के सभी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में पंच-परिवर्तन विषय अनिवार्य हो— कुलपति प्रो. ब्योमकेश त्रिपाठी


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अनुपपुर ।  16 अप्रैल 2025 पंच परिवर्तन केवल एक विषय नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर, मूल्यनिष्ठ और समरस भारत के निर्माण की नींव है। इसे भारत के सभी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाना चाहिए। यह प्रेरक विचार राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो. ब्योमकेश त्रिपाठी ने आज वोकेशनल एजुकेशन संकाय के द्वारा आयोजित "विकसित भारत @2047 हेतु मूल्य आधारित शिक्षा" संगोष्ठी के दौरान शैक्षिक समुदाय को संबोधित करते हुए व्यक्त किया। अमरकंटक विश्वविद्यालय भारत का प्रथम केन्द्रीय विश्वविद्यालय बन गया है, जिसने औपचारिक रूप से “पंच परिवर्तन” विषय को स्नातक पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया है। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मूल्यों को मूर्त रूप देती है और भारत के शिक्षा तंत्र में एक नई सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना का संचार करती है और पंच परिवर्तन अकादमिक प्रत्यक्ष गतिविधि से छात्रों, समाज के बीच मजबूती से आकार लेगा।

*मोदी, भागवत, चक्रधर, आंबेकर, सतीश कुमार सहित अनेक मनीषियों की रचनाओं को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया-प्रो मोहन कोल्हे*

पाठ्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करने वाले स्वदेशी शोध संस्थान के केंद्रीय टोली सदस्य तथा रिन्यूएबल -हाइड्रोजन एनर्जी के वैश्विक वैज्ञानिक अग्दर विश्वविद्यालय नोर्वे के प्रो मोहन कोल्हे ने बताया कि पंच परिवर्तन पाठ्यक्रम को गहन और समग्र बनाने के लिए इसमें भारत के विविध विचारधाराओं के मनीषियों की रचनाओं को सम्मिलित किया गया है। इनमें प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी की पुस्तक सामाजिक समरसता, आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत की यशस्वी भारत, रामदत्त चक्रधर की राष्ट्र निर्माण और युवा, सुनील आंबेकर की स्वर्णिम भारत के दिशा-सूत्र, सतीश कुमार की भारत 2047 के पंच स्तम्भ, जे. नंदकुमार की स्व: राष्ट्रीय स्वत्व के लिए संघर्ष, अतुल कोठारी की शिक्षा में भारतीयता, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की इगनाईटिंग माइंड, धर्मपाल की भारत का स्वधर्म, सीता राम गोयल, बालासाहेब देवरस, अनिल साठे, ख्याति पाठक सहित अनेक विद्वानों की पुस्तकों को पाठ्य तथा संदर्भ सामग्री के रूप में जोड़ा गया है। यह पाठ्यक्रम छात्रों को वैचारिक स्पष्टता, राष्ट्रीय प्रतिबद्धता और मूल्यनिष्ठ जीवन दृष्टि प्रदान करने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है।

*पंच परिवर्तन पाठ्यक्रम के पाँच आधार स्तंभ-आचार्य (डॉ) विकास*

व्यावसायिक तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास संकाय के अधिष्ठाता तथा स्वावलंबी भारत अभियान के अखिल भारतीय संचालन समिति सदस्य आचार्य (डॉ) विकास सिंह ने बताया कि पाठ्यक्रम के पाँच आधार स्तंभ है जिसमें सामाजिक समरसता के भाव को व्यवहार में उतारना, पर्यावरण संरक्षण हेतु पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली को अपनाना, कुटुंब प्रबोधन के माध्यम से पारिवारिक मूल्यों और भारतीय सामाजिक ढांचे को पुनर्स्थापित करना, ‘स्व’ का जागरण एवं स्वदेशी जीवनशैली से भारतीय मूल्यों पर आधारित आत्मबोध, आत्मनिर्भरता और देशज जीवनशैली को प्रोत्साहन देना और नागरिक कर्तव्य बोध और सामाजिक प्रबोधन से युवाओं में राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी और नागरिक चेतना का विकास करना सम्मिलित।

*शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री नहीं, समाज परिवर्तन होना चाहिए- कुलपति प्रो. ब्योमकेश*

कुलपति प्रो. त्रिपाठी ने कहा की आज समय अनुकूल है, लेकिन यह अनुकूलता विश्राम के लिए नहीं, अपितु राष्ट्रनिर्माण के लिए चरम प्रयास का अवसर है। विद्यार्थियों को केवल पाठ्य ज्ञान नहीं, बल्कि सामाजिक जागरण और नैतिक नेतृत्व की दिशा में विकसित करना समय की मांग है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि “पंच परिवर्तन” केवल विचार का विषय नहीं, बल्कि प्रत्यक्ष गतिविधियों के माध्यम से जीवन एवं समाज में उतारने का माध्यम भी है। इसी कारण पाठ्यक्रम में एक्टिविटी-बेस्ड लर्निंग को विशेष रूप से शामिल किया गया है।

*भारत की संत परंपरा और जनजातीय गौरव का समावेश*

कुलपति प्रो. त्रिपाठी ने कहा की इस पाठ्यक्रम में भारत की संत परंपरा – जैसे दक्षिण भारत, महाराष्ट्र, उत्तर भारत, पूर्वोत्तर, पंजाब, बंगाल आदि क्षेत्रों के संतों के कार्यों का समावेश किया गया है। इसके साथ ही भगवान बिरसा मुंडा, रानी दुर्गावती, तथा वीरांगना रानी अब्बक्का जैसे जनजातीय नायकों की प्रेरक गाथाएँ भी विद्यार्थियों को पढ़ाई जाएंगी। कुलपति प्रो. त्रिपाठी ने भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग एवं देशभर के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से आग्रह किया कि अगर भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाना है, तो हमें अपनी शिक्षा को मूल्य आधारित एवं समाज परिवर्तनकारी बनाना होगा। पंच परिवर्तन विषय को प्रत्येक विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में स्थान मिलना चाहिए।

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से  आईपीएस के. सेतुरमन, प्रो एके शुक्ला, प्रो नवीन शर्मा, डीन प्रो जितेंद्र शर्मा, प्रो रक्षा सिंह, डॉ मोहनलाल चढार, डॉ दिग्विजय फुकन, डॉ जानकी प्रसाद, डॉ पंकज तिवारी, डॉ अभय प्रताप सिंह, डॉ हिमांशी वर्मा, डॉ अशोक भास्कर, डॉ अमृता सिंह, डॉ भारती जरवाल, एबीवीपी के महाकौशल प्रांत पूर्वअध्यक्ष डॉ संदीप खरे, डॉ विनोद वर्मा, डॉ कमलेश पांडे, डॉ दिनेश परस्ते, हरिश्चंद्र विश्वकर्मा, आशीष गुप्ता, अनुराग सिंह, खेलन सिंह ओरके, हिरा सिंह उद्दे, चिन्मय पांडे, ऋतुराज सोंधिया, डॉ रामजी पांडे, डॉ प्रणय सोनी, संयुक्त कुलसचिव डॉ पूजा तिवारी, उप कुलसचिव डॉ संजीव सिंह, इंटरनल ऑडिट ऑफीसर डॉ अखिलेश सिंह, जनसंपर्क अधिकारी रजनीश त्रिपाठी सहित सैकड़ों की संख्या में डीन, हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट, अधिकारी सहित छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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