अनूपपुर की पत्रकारिता पर ये दाग बिल्कुल भी अच्छे नहीं हैं*narmadanewstimes.in


 *अनूपपुर की पत्रकारिता पर ये दाग बिल्कुल भी अच्छे नहीं हैं*


( मनोज कुमार द्विवेदी, अनूपपुर )


कोतमा के कुख्यात तस्कर बल्लू का एक वायरल वीडियो जिले की पत्रकारिता को कलंकित कर गया है। पांच पत्रकारों के नाम तस्कर ने वीडियो में लिये हैं । ये नाम दस भी हो सकते हैं , सौ भी और डेढ सौ भी । क्योंकि पुलिस कस्टडी में बयान देने वाला कोई संत ,समाजसेवी या देशभक्त नहीं है। गौ तस्कर है,रिवाल्वर मिला है,आदतन अपराधी है। यदि उसके बयान में सच्चाई है तो यह चिंता का विषय है। 

हमाम में सब नंगे हैं ,ऐसा नहीं कहा जा सकता लेकिन खाखीं और खादी वाली बेहयाई और उतनी ही गिरावट पत्रकारिता में भी आ गयी है। 

बिना सहमति, बिना अनुमति 500 के जबरन छापे  विज्ञापन का,लोग पूरी रंगदारी से 5000 - 15000 वसूल रहे हैं, यहाँ तक तो ठीक था। लेकिन जिस तरीके से अब रेत, पत्थर, कोयला, झोलाछाप डॉक्टरों, लैम्प्स प्रबंधको, भ्रष्ट अधिकारियों- पुलिस, नेताओ, व्यापारियों से होता हुआ पशु तस्करों से सांठ गांठ तक कु- पत्रकारिता जा पहुंची है।  यह सभी सच्ची ईमानदार पत्रकारिता के पैरोकारों के लिये चिंतन का विषय है।

   गिरावट के इस दौर में जब हर दूसरा व्यक्ति गिर या गिराया जा रहा हो, किसी मामले की सच्चाई आने तक कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन वीडियो वायरल होने से पहले पशु तस्करी में कोतमा विधानसभा क्षेत्र के नेताओं, विभिन्न थाना क्षेत्रों की पुलिस और वहाँ के कुछ पत्रकारों के नामों की सुगबुगाहट होती रही है। अंत हीन इस बहस में ना जाते हुए चूँकि विभिन्न पत्रकार संगठनों के पत्रकारों के नाम संलिप्तता में बतलाए गये हैं और ऐसा आरोप लगने मात्र से सोशल मीडिया और पूरे जिला पत्रकारों के मुंह पर थूकता दिख रहा है। तो मुझे लगता है कि हर जिम्मेदार पत्रकार को पत्रकारिता की शुचिता बनाए रखने के लिये अपना पक्ष जरुर रखना चाहिए । मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष, एक्सप्रेस मीडिया सर्विस के जिला प्रमुख और दैनिक कीर्ति क्रांति अनूपपुर  के संपादक के रुप में इस समूचे विषय में पुलिस ,पत्रकारों, अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली को लेकर मेरे अपने विचार और कुछ सवाल हैं । हो सकता है लोग सहमत हों और ये भी हो सकता है कि मेरे सवालों पर भी सवाल हों। सबके जवाब मैं नहीं दे सकता और ऐसे में मेरे मौन को ही मेरा जवाब समझ लेना चाहिए । जिसका जवाब समय पर स्वयंमेव मिल जाएगा।

1. वायरल वीडियो कब ,कहां, किसने और क्यों बनाया है, यह स्पष्ट किये बिना वीडियो वायरल क्यों किया गया ?

2. यदि वीडियो पुलिस हिरासत मे बनाया गया तो इसका हिस्सा Selective क्यों है ?

3. जाहिर है कि योजना के तहत वीडियो का एक अंश वायरल किया गया , क्यो ?

4. वायरल वीडियो का शेष हिस्सा किसने छुपाया। वह ऐसा करके किसे / किन्हें बचाना चाहता है।

5. यदि यह वीडियो पुलिस के पास था तो मीडिया में वायरल किसने और क्यों किया ? उसकी मंशा पत्रकारों को बदनाम करने की थी या वह ऐसा करके पत्रकारों का मुंह बंद करना चाहता था ?

6. यदि वीडियो पुलिस के किसी अधिकारी ने वायरल किया है तो यह सबूतों से आपराधिक छेड़छाड़ का मामला है। पुलिस अधीक्षक इसे स्वयं संज्ञान लें ।

7. वीडियो में आरोपी के किन अन्य पत्रकारों, नेताओं, पुलिस या अन्य लोगों से संपर्क थे, सबके काल डिटेल्स की जांच हो और उसे भी ऐसे ही मीडिया ट्रायल करवाया जाए।

8. यदि यह वीडियो कोतमा थाने से लीक किया गया है तो कोतमा नगर निरीक्षक सहित अन्य सभी के विरुद्ध मामला दर्ज किया जाए ,विभागीय कार्यवाही की जाए।

9. यदि पुलिस के पास पत्रकारों की संलिप्तता के पुख्ता साक्ष्य नहीं हैं तो वह सार्वजनिक माफी मांगे।

10. यदि पुलिस के पास उक्त पांच पत्रकारों के विरुद्ध सह अपराध के साक्ष्य हैं तो सख्त कार्यवाही की जाए।

11. पशु तस्करी में लिप्त अन्य सभी के विरुद्ध कार्यवाही होनी चाहिए ।

पत्रकारिता और अन्य सार्वजनिक जीवन में कार्य करते हुए आरोप - प्रत्यारोप होते हैं। दाग लगते और लगाए जाते हैं। लेकिन बल्लू के वायरल वीडियो ने केवल पांच पत्रकार नहीं अपितु पूरे अनूपपुर जिले की पत्रकारिता को कलंकित किया है।ऐसे दाग ना तो अच्छे हैं और ना ही स्वीकार्य । मैं , मेरा संस्थान और मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ इस कलंक, इसके तौर तरीके की कड़ी निंदा करते हुए अनूपपुर जिले के सभी गणमान्य लोगों से खेद प्रकट करते हैं।


💐🥹


मनोज कुमार द्विवेदी

   प्रदेश उपाध्यक्ष

मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ, अनूपपुर ( मप्र )

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