"प्रकृति हमारी शिक्षक है" ........ कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी narmadanewstimes.in

 "प्रकृति हमारी शिक्षक है"

........ कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी






अनूपपुर / शिक्षक दिवस समारोह इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के डॉ. लक्ष्मण हवानुर सभागार में संपन्न हुआ। दीप प्रज्वलन एवं मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं कुलगीत के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी द्वारा की गई। 


सर्वप्रथम इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक के सेवानिवृत्त आचार्यों 

का अभिनंदन व सम्मान विश्विद्यालय के  कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी द्वारा शाल एवं श्रीफल से किया गया। 


कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे  कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी द्वारा अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा गया कि 'शिक्षक पारस की तरह होता है, जिस तरह पारस के छूने मात्र से कोई भी धातु सोना बन जाती है, ठीक उसी तरह शिक्षक द्वारा दी हुई शिक्षा से छात्र उच्च आदर्शों एवं उच्च चरित्र को प्राप्त करता है और जीवन के हर क्षेत्र में शिक्षा के आधार पर आगे बढ़ता है। अतः शिक्षक को हमेशा याद रखना चाहिए कि उसके ज्ञान से विद्यार्थी, समाज, राष्ट्र और मानवता का निर्माण होता है। मनुष्य के बाल्यापन से लेकर वृद्धावस्था तक के जीवन में कोई ना कोई शिक्षक उसको प्रतिपल शिक्षित करता रहता है। वो बात दूसरी है, कि उस शिक्षक को कोई जल्दी से पहचान नहीं पाता है।  शिक्षक ईश्वर का रूप है, वह ईश्वर के द्वारा पृथ्वीलोक पर भेजा गया है। शिक्षक का मूल्यांकन सभी के द्वारा किया जाता है। क्योंकि वह समाज के लिए आदर्श है। शिक्षक को हमेशा चेतना का प्रसार करते रहना चाहिए जिससे भावी पीढ़ी का निर्माण होता है। शिक्षक को हमेशा याद रखना चाहिए कि उसके ज्ञान से सिर्फ संस्थान में आ रहे छात्र ही शिक्षित नहीं होते हैं बल्कि आंचलिक समाज भी शिक्षित होता है। शिक्षा निरंतर चलती है बिना अवरोध के यह एक सतत प्रक्रिया है इसलिए शिक्षक को कभी भी संकीर्ण सोच का नहीं होना चाहिए। भारत में शिक्षक के सम्मान की परम्परा अत्यंत प्रचीन है। हिन्दू धर्मग्रंथो में भी इसका उल्लेख मिलता जिसमें ईश्वर ने शिक्षक को श्रेष्ठ मानकर उसकी वंदना की है। आज पूरी दुनिया में भारत की पहचान ज्ञान के माध्यम से हो रही है। शिक्षक और शिक्षा के माध्यम से एक भारत एवं श्रेष्ठ भारत के साथ-साथ संसार में भारत का स्थान श्रेष्ठतम होगा। ज्ञान की दुनिया में हमें महान शक्ति बनना है जिसके केंद्र में शिक्षक हैं। मैं ऐसी कामना करता हूँ, कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्विद्यालय, अमरकंटक एक आदर्श विश्विद्यालय बनकर उभरेगा। इसकी पहचान विश्व पटल पर होगी, जिसकी जबाबदारी हमारे शिक्षकों के कंधों पर है। 


कार्यक्रम में सेवानिवृत्त आचार्य प्रोफ़ेसर पी.के. सामल एवं वरिष्ठ आचार्य प्रो. व्योमकेश त्रिपाठी का स्वागतम सम्मान किया गया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. देवेंद्र सिंह द्वारा किया गया तथा शिक्षा संकाय के अधिष्ठाता प्रो. एम.टी.वी. नागराजू द्वारा मा. कुलपति  का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का परिचय एवं स्वागत उद्धबोधन विश्विद्यालय के अधिष्ठाता (अकादमिक) प्रो. आलोक श्रोत्रिय द्वारा दिया गया। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. एन.एस. मूर्ति द्वारा आभार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम में  वरिष्ठ आचार्य प्रो. ए.के. शुक्ल सहित बड़ी संख्या में शिक्षकगण उपस्थित थे।

एक टिप्पणी भेजें

संपर्क फ़ॉर्म

नाम

ईमेल *

संदेश *

Blogger द्वारा संचालित.
Javascript DisablePlease Enable Javascript To See All Widget