*बैठकी*
*सरेंडर, सरेंडर, सरेंडर
बैठकी जमते हीं उमा काका बोल पड़े--" सर जी, धर्म के आधार पर देश का विभाजन हुआ लेकिन विभाजन के बाद भी,भारत से आधा पाकिस्तान हीं जुदा हुआ,आधा भारत में हीं रह गया और ये शेष पाकिस्तान, विभाजित भारत पर कांग्रेस के रूप में दशकों तक सत्ता में रहा। आज परिस्थितियां बदल गई हैं।देश के भीतर सत्ता में भारत है तो भारत के भीतर का पाकिस्तान विपक्ष में अर्थात *कांग्रेस*!"
ठीक कहते हैं काकाजी! आजादी के बाद से ही कांग्रेस ने अंबेडकर साहब के संविधान को जिस तरह इस्लामिक संविधान का रुप दे दिया उससे तो बिल्कुल साफ-साफ दिखता है कि गांधी और नेहरू ने बड़ी धूर्तता और षड्यंत्र के तहत इस्लामिक मुल्क पाकिस्तान बना डाला और शेष हिंदुओं के हिस्से की सत्ता की चाभी भी अपने पास रखते हुए "गजवा-ए-हिंद" करने के सारे तिकड़म लगा डाले। शुक्र है ईश्वर का जो हिंदुओं में थोड़ी समझ जगी और भाजपा सत्ता में आ गई। भाजपा के सत्ता में आने से कांग्रेस रुपी पाकिस्तान में खलबली मच गई है क्योंकि इसके चलते विगत में उसके द्वारा राष्ट्र और हिन्दुओं के विरुद्ध किये गये सभी पाप,आमलोगों की समझ में आने लगी है फलस्वरूप कांग्रेस का शेष भारत को भी इस्लामिक राष्ट्र अर्थात पाकिस्तान बनाने का सपना टुटता नजर आ रहा है । तभी तो विपक्ष का कांग्रेसी नेतृत्व "श्रीमान राहुल गांधी" देश-विदेश, जहां भी मौका मिलता है, राष्ट्र विरोधी वक्तव्य और सेना का मनोबल तोड़ने का उपक्रम करने लगता है।--मास्टर साहब मुंह बनाये।
पीछे के क्रिया कलापों को छोड़िये! अभी पहलगाम आतंकी हमला के जबाब में भारतीय सेना ने जो प्रक्रम दिखाया है जिसको लेकर पूरे विश्व के समक्ष, भारत की एक विशिष्ट शक्तिशाली छवि बनी है उससे आहत होकर राहुल गांधी और गांधी परिवार के तलुवा चाटने वाले, आप्रेशन सिंदूर को लेकर ऐसे -ऐसे वक्तव्य दे रहे हैं जिसे पाकिस्तानी टीवी चैनलों पर पाकिस्तान के पक्ष में प्रमाण के रूप में प्रस्तुत करते हुए डिबेट किया जा रहा है।--डा.पिटु हाथ चमकायें।
ए भाई लोग, आजकल रहुलवा बड़ा चर्चा में बा। टीवीया प खाली सरेंडर, सरेंडर पर चर्चा होता।--मुखियाजी खैनी मलते हुए।
मुखियाजी, भोपाल की एक जनसभा में राहुल गांधी बोला कि आप्रेशन सिंदूर के दौरान अमरीका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने मोदीजी को फोन किया और बोला कि "मोदीजी, ये क्या कर रहे हो!! सरेंडर करो! नरेन्द्र मोदी ने इधर से कहा-- जी हुजूर, और सरेंडर कर दिया। मतलब आप्रेशन सिंदूर बंद कर दिया।"
मुखियाजी, भाजपा वाले ठीक कह रहे हैं कि राहुल का ये वक्तव्य, राष्ट्र और सेना दोनों का घोर अपमान है। आप्रेशन सिंदूर के सीज़फायर की वास्तविकता दुनिया जान चुकी है फिर भी दुश्मन पाकिस्तान के पक्ष में और देश के विरुद्ध ऐसी गलत बात कहना क्या ये सिद्ध नहीं करता कि भारत के भीतर कांग्रेस, शेष भारत में पाकिस्तान का हीं प्रतिनिधित्व करता है!! उमा काका मुंह बनायें।
इस बीच बेटी चाय का ट्रे रख गई और हम सभी एक- एक कप उठाकर पुनः वार्ता में.......
काकाजी, ठीक हीं सब कह रहें हैं कि कांग्रेस अपना इतिहास देखें तो देश बंटवारे के साथ हीं,जिन्ना के मुस्लिम लीग के समक्ष कांग्रेस ने जो सरेंडर करना शुरु किया वो सिलसिला कांग्रेस ने अपने अंतिम शासनकाल तक जारी रखा है। अगर कांग्रेस के पाकिस्तान, चीन, अमरीका , आतंकियों आदि के समक्ष किये गये सरेंडर का विवरण देने लगु तो घंटों लग जायेंगे। सच में देश का विभाजन तो हुआ लेकिन अपने हिस्से का सब-कुछ लेने के बावजूद, मुंह ढंककर आधा पाकिस्तान यहीं रह गया जो आज हम भारतियों और सनातनियों के लिये सबसे कठीन समस्या बन चुका है। कुंवर जी अखबार पलटते हुएं।
अच्छा इ बतायीं सरजी कि आप्रेशन सिंदूर के सफलता से कांग्रेस के काहे चिढ़ बा!! मुखियाजी मेरी ओर देख कर।
मुखियाजी, राजनीतिक स्तर पर विचार करें तो पहलगाम आतंकी हमले के पश्चात भारत द्वारा बदले में किया गया आप्रेशन सिंदूर,मोदीजी के नेतृत्व में राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर श्रेष्ठता की ओर बढ़ते भारत को प्रतिबिंबित किया है । हर क्षेत्र में उत्तरोत्तर विकास की ओर बढ़ता भारत, विपक्षियों के लिये राजनीतिक स्तर पर अपने अस्तित्व के लिए चिंता का सबब बन रहा है, चाहें वो अर्थव्यवस्था हो या सुरक्षा का क्षेत्र, चाहें स्वनिर्भरता का क्षेत्र हो या वैश्विक स्तर पर भारत का बढ़ता प्रभाव। इसका स्पष्ट प्रभाव आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में दिखेगा हीं दिखेगा।
सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये है कि मोदीजी के सामने भारत के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय विदेशी षड्यंत्रकारियों की भी दाल नहीं गल रही जिसे भारत के विरुद्ध इन विपक्षियों का भी साथ मिला हुआ है । देश के बाहर के दुश्मन चाहते थे कि भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था को चौपट करने के लिए भारत को भी रुस और युक्रेन की तरह युद्ध में फंसा दिया जाय। कांग्रेस शासन का इतिहास साक्षी है कि कांग्रेस,हमेशा भारत के दुश्मन चीन और पाकिस्तान की हितैषी रही है तो उसकी चाहत भी वहीं थीं जो पाकिस्तान, चीन, अमेरिका,डीप स्टेट की रहीं हैं लेकिन मोदी और हमारी जांबाज सेना ने चार दिनों में हीं, आप्रेशन सिंदूर को अंजाम देकर,पाकिस्तान को उसकी आतंकवादी करनी का फल चखाकर अपनी सेहत और दुरुस्त हीं नहीं कर लिया बल्कि देश के विरुद्ध षड्यंत्रकारियों को भी माकूल जवाब दे दिया।--मैं चुप हुआ।
सरजी, आप्रेशन सिंदूर को लेकर मोदी सरकार ने जो 33 देशों में सात समूहों का डेलिगेशन विदेशों में भेजा उसमें हमारे विपक्षियों के सांसद भी थें। कांग्रेस के शशि थरूर तो एक समूह को लीड भी कर रहे थें। इन जत्थों में सलमान खुर्शीद, ओवैसी जैसे मुस्लिम परस्त भी रहे जो विदेशों में पाकिस्तानी आंतकी गतिविधियों को उजागर करके धूम मचा दिये हैं। पाकिस्तान में इनकी आलोचना भी हो रही है। इस पर आपकी क्या राय है!!--सुरेंद्र भाई, डा. पिंटू की ओर देखकर।
भाईजी, जैसा कि इन लोगों का इस मैटर पर पत्रकारों के समक्ष उत्तर सुना। इन लोगों ने वाकई बड़े हीं सुलझे और स्पष्ट तरीके से भारत के पक्ष को,विदेशों में रखा है और पाकिस्तान की नापाक गतिविधियों को उजागर किया है। इनका कहना है कि दलगत राजनीति देश के भीतर होनी चाहिए लेकिन देश के बाहर हम अपने देश का प्रतिनिधित्व करने गये हैं तो वहां हम सिर्फ भारतीय हैं।
भाईजी, ये बात सभी भारतवासियों के लिये संतोष देने वाली है लेकिन..।--डा. पिंटू चुप हुए तभी मुखियाजी बोल पड़े --"लेकिन का!!"
मुखियाजी, मुझसे सुनिये! शशि थरूर का नाम कांग्रेस ने डेलिगेट्स के मेंबर के रूप में नहीं दिया था लेकिन फिर भी मोदीजी ने उनकी योग्यता का सम्मान करते हुऐ चुनाव किया तो शशि थरूर के सामने एक तो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने को सिद्ध करने का अवसर था जिसे वे खोना नहीं चाहेंगे दूसरी ओर अब कांग्रेस का और कांग्रेस में गांधी परिवार के अलावा और किसी का भविष्य नहीं इसे भी वो अच्छी तरह जानते हैं तो क्यों न अपने व्यक्तित्व की अहमता से पार्टी और देश को परिचित कराया जाय। तीसरी बात कि देश के प्रति अपना कर्तव्य है वो भी पूरा करने का अवसर मिला जिसे उन्होंने भलि- भांति निभाया। रही बात ओवैसी की तो उन्होंने इस डेलिगेशन के सदस्य के रूप में अपनी भूमिका को राष्ट्रभक्त के रूप में सार्थक सिद्ध करके अपनी पार्टी एआईएमआईएम की छवि इस्लाम परस्त के साथ,राष्ट्रभक्त की दिशा में मोड़कर मुसलमानों के साथ- साथ सेक्युलर हिंदुओं को भी अपने पाले में करके,राजनीतिक विस्तार करने का प्लेटफार्म तैयार कर लिया है।
अन्य विपक्षी दलों के डेलिगेट्स भी अपनी भूमिका के बल पर यह सिद्ध करने का प्रयास करेंगे कि सिर्फ भाजपा हीं राष्ट्रवादी नहीं हम भी हैं। हां सोचने की बात यही है कि ओवैसी मुस्लिम समर्थक है, लेकिन जब वो भारत समर्थक होते हैं तो हिंदू उनका समर्थन करते हैं। वहीं मोदी भारत समर्थक हैं और जब वें हिन्दू समर्थक होते हैं तो मुसलमान उनका विरोध करते हैं।--कहकर मास्टर साहब मुस्कुराये।
जो भी हो! कांग्रेस वालों का आप्रेशन सिंदूर पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करना, मोदीजी के राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते प्रभाव को लेकर फ्रस्ट्रेशन के सिवा कुछ नहीं। वैसे भी ये कोई नई बात नहीं है । मोदी विरोध में देश का हीं विरोध करना कांग्रेस की आदत और मजबूरी बन चुकीं है। अच्छा अब चला जाय।--कहकर सुरेन्द्र भाई उठ गये और इसके साथ हीं बैठकी भी.......!!!!!!
प्रोफेसर राजेंद्र पाठक (समाजशास्त्री)